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CAA और फसाद : हम कब तक सोते रहेंगे?

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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पुरे भारत में एक सटीक आयोजन के अनुसार प्रदर्शन हो रहा है।  जिस प्रकार से कश्मीर में सशस्त्र सुरक्षा बलों  पर पथराव होता रहा है उसी प्रकार से हर जगह पर पुलिस को निशाना बनाया जा रहा है।  हर जगह पुलिस को ही निशाना बनाया जा रहा है।  यह कोई सामान्य संयोग नहीं है।  यह आयोजन है। ऐसा लगता है जैसे पुरे भारतमें पाकिस्तान के एजेंट फैले हुए है।   इस परिस्थिति में यह अति आवश्यक है कि  हिन्दुओं को एकजुट होकर भारत सरकार और पुलिस का मनोबल बढ़ाने  वाले कार्यक्रम देने चाहिए। हिंसक होनेकी आवश्यकता नहीं है पर हिन्दू एकता दिखाना आवश्यक है।   Citizen Amendment  Act अर्थात नागरिकता संशोधन कानून बनते ही वोट बैंक पॉलिटिक्स के खिलाडी मैदान में कूद पड़े हैं।  इस मौके को भुनाने के लिए अपने आपको बिनसाम्प्रदायिक और बुद्धिजीवी मानाने वाले भी पूरी तरह से सक्रीय हुए हैं। भारतीय लोकशाही में सबको अपने विचार और विरोध प्रदर्शित करने की स्वतंत्रता है लेकिन कल से जो चित्र उभरके सामने आ रहा है वह अति गंभीर और राष्ट्र के लिए चेतावनी स्वरूप है।अपने आपको भारतीय संविधान के संरक्षक जताने

पांच वर्षोंमें क्या बदला? : हर हिंदुको यह समजना होगा.

पांच वर्षोंमें क्या बदला? ॐ नमो नारायण. अभी लोक सभा के चुनाव का मौसम पूरी तरह से छाया हुआ है. हर प्रकार के आक्षेप प्रति आक्षेप हो रहे हैं. जनता के सामने जैसे एक विराट मंथन प्रारम्भ हो गया है. अमृत तो निकलते निकलेगा अभी तो चारों ओर विष के छींटे उड़ रहे है. टेलीविज़न और इंटरनेट की दुनियामें चर्चाएं चल रही है. सबको विकास की और अर्थ व्यवस्था की चिंता है. अच्छी बात है. हमारा देश अधिक से अधिक विकसित  होना ही चाहिए. स्वतंत्रता के बाद हमारा राष्ट्र विभिन्न परिस्थितियों में से गुजरते हुए अवकाश विजयी हुआ है. हमे गर्व है. लेकिन पिछले पांच सालों में कुछ ऐसा भी हुआ है जो पहले हमने कभी नहीं सोचा था.  जिसका हमें अहसास तक नहीं  था. हम हिंदुओंकी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि हमें हमारे इतिहास में कोई विशेष रूचि नहीं है. जो हो गया सो हो गया. दूर का इतिहास तो छोड़िये, कुछ साल पहले की बात भी हमें याद नहीं रहती. १३ सितम्बर २००७ के ध  टाइम्स ऑफ़ इंडिया में पत्रकार धनञ्जय महापात्र की एक रिपोर्ट छपी है जिसमे कहा गया है कि तत्कालीन भारत सरकार द्वारा  सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल किया गया है कि  बे