CAA और फसाद : हम कब तक सोते रहेंगे?

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पुरे भारत में एक सटीक आयोजन के अनुसार प्रदर्शन हो रहा है।  जिस प्रकार से कश्मीर में सशस्त्र सुरक्षा बलों  पर पथराव होता रहा है उसी प्रकार से हर जगह पर पुलिस को निशाना बनाया जा रहा है।  हर जगह पुलिस को ही निशाना बनाया जा रहा है।  यह कोई सामान्य संयोग नहीं है।  यह आयोजन है। ऐसा लगता है जैसे पुरे भारतमें पाकिस्तान के एजेंट फैले हुए है।   इस परिस्थिति में यह अति आवश्यक है कि  हिन्दुओं को एकजुट होकर भारत सरकार और पुलिस का मनोबल बढ़ाने  वाले कार्यक्रम देने चाहिए। हिंसक होनेकी आवश्यकता नहीं है पर हिन्दू एकता दिखाना आवश्यक है।  
Citizen Amendment  Act अर्थात नागरिकता संशोधन कानून बनते ही वोट बैंक पॉलिटिक्स के खिलाडी मैदान में कूद पड़े हैं।  इस मौके को भुनाने के लिए अपने आपको बिनसाम्प्रदायिक और बुद्धिजीवी मानाने वाले भी पूरी तरह से सक्रीय हुए हैं। भारतीय लोकशाही में सबको अपने विचार और विरोध प्रदर्शित करने की स्वतंत्रता है लेकिन कल से जो चित्र उभरके सामने आ रहा है वह अति गंभीर और राष्ट्र के लिए चेतावनी स्वरूप है।अपने आपको भारतीय संविधान के संरक्षक जतानेवाले लोग इस कानून का विरोध या तो बिना सोचे समजे कर रहे हैं या फिर उनके मनमे इस देश को बरबाद करनेकी मंशा है। 

भारत की सीमा से सटे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान संवैधानिक रूप से मुस्लिम राष्ट्र हैं।  यह बात किसीसे छिपी नहीं है कि उन राष्ट्रों में जो अलप संख्यक समुदाय है, जैसे कि  हिन्दू, सिख, बौद्ध  या ख्रिस्ती ; उनको प्रताड़ित किया जाता है और उनको सामान अधिकार प्राप्त नहीं होता। स्वतंत्रता के पूर्व बृहद भारत वर्ष का हिस्सा रहे इन राष्ट्रों में रह रहे यह अल्प  संख्यक स्वाभाविक रूप से मूल भारतीय है।  पिछले सत्तर वर्षों से यातना सह रहे इन लोगों को भारत सरकार अपने नैसर्गिक कर्तव्य का पालन करते हुए इ यदि भारतीय नागरिकता सहज सरल रूप से देने का प्रावधान करें तो उसमे कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए। वास्तवमें तो यह काम साठ  सत्तर साल पहले हो जाना चाहिए था।  नहीं हुआ।  खैर, अभ जब प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदीजी की भारतीय जनता पक्ष की सरकार ने यह काम कर दिया तो उसकी सराहना करना दूर पर उसका हिंसक विरोध हो रहा है। कारन यही है कि  इस कानून के अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के मुसलमान शरणार्थियों को भारत का नागरिकत्व नहीं मिल सकता।  विरोध करने वाले यह नहीं सोच रहे कि  उन राष्ट्रों में मुसलमान अल्प  संख्यक कतई  नहीं है। वह राष्ट्र ही संवैधानिक रूप से मुस्लमान राष्ट्र है।  आज की परिस्थिति यह है कि  तुष्टिकरण की राजनीती ने जो आदत डाली है उसके अनुसार जब कभी हिन्दू और अन्य किसी भी धर्म या संप्रदाय के लोगों की सुरक्षा की बात आती है तो उन्हें असुरक्षा महसूस होती है।  वास्तविकता यह है कि  पुरे विश्वमें यह एक ऐसा मज़हब है जो राष्ट्र से पहले अपनी मज़हबी मान्यताओं को रखता है।  उनके बच्चों के लिए मज़हबी तालीम सबसे अहम  रहती है।  

क्या किसी भी मुद्दे पर हिन्दुओं का हुजूम इकठ्ठा हो सकता है? 

हम इतिहास से कुछ भी सीखना नहीं चाहते।  इस देश में हिन्दुओंकी आबादी लगभग सौ करोड़ है लेकिन हम कभी भी एक साथ खड़े नहीं रह सकते क्योंकि हमें हिन्दू होने का महत्त्व कभी सिखाया नहीं जाता।  अक्सर इज़राइल का उल्लेख होता है लेकिन यह बात हम नहीं समाज पते के सदियों से यहूदी प्रजा अपने धार्मिक विश्वासमें अडिग रही है।  सायंस और टेक्नोलॉजी में कितने भी एडवांस होने के बावजूद वो लोग अपने धार्मिक रिवाजों और धार्मिक मान्यताओं के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं करते।  हम लोग सबके सामने अपने आपको मॉडर्न दिखने के लिए सबसे पहले अपने धर्म का उपहास करते हैं।  हिन्दू माता पिता अपने बच्चों को फ़िल्मी डांस क्लास में भेजने के लिए अधिक उत्सुक रहते हैं बजाय किसी भी प्रकारका धार्मिक प्रशिक्षण दिलाने के।  हम हमारे इतिहास को बड़ी आसानी से मायथोलॉजी कह सकते हैं।  

जिस प्रकार से नागरिकता संशोधन कानून पर विरोध हो रहा है वह वास्तव में एक निश्चित प्रकार का शक्ति प्रदर्शन है यह बात आसानीसे समझ  में आ सकती है।  कोई भी यह बात आसानी से कह सकता है की इस कानून में ऐसी कोई बात नहीं है कि  इस प्रकार से विरोध  करना चाहिए।  इस कानून के विरोध के नाम पर शक्ति प्रदर्शन हो रहा है यह बात हमें समझनी चाहिए।  

पुरे भारत में एक बात सोचा समझा  तरीका अपनाया गया है।  वह है पुलिस पर हमला।  जिस प्रकारसे कश्मीरमें सशस्त्र दलों पर पत्थरबाजी की जाती थी उसी प्रकारसे पुरे भारतमें पुलिस को निशाना बनाया जाता है।  पूरा प्रयास हो रहा है कि  किसी भी प्रकार से पुलिस को उकसाया जाय। ऐसा लगता है जैसे पुरे भारत में पाकिस्तान के एजेंट फैले हुए है। 

अब समय आ गया है हिन्दुओं को अपनी एकता दिखने का।  हमें यह भी देखना है कि  दलितों के नाम पर भी हिन्दुओं में विभाजन नहीं किया जाय।  अब समय आ गया है सोये हुए हिन्दू स्वाभिमान को जागृत करनेका। 


Comments